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वाहे गुरू जी || waheguru ji || Guru ki Bani ||

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                         वाहे गुरू जी एक मालिक का प्यारा शख्श जिसका नाम करतार था  वह छोले बेचने का कारज करता था  वाहे गुरू जी || waheguru ji || Guru ki Bani ||  उसकी पत्नी रोज सुबह-सवेरे उठ छोले बनाने में उसकी मदद करती थी  एक बार की बात है कि  एक फकीर जिसके पास खोटे सिक्के थे उसको सारे बाजार में कोई वस्तु नहीं देता हैं  तो वह करतार के पास छोले लेने आता हैं करतार ने खोटा  सिक्का देखकर भी  उस मालिक के प्यारे को छोले दे दिए।ऐसे ही चार-पांच दिन  उस फकीर ने करतार को खोटे सिक्के देकर छोले ले लिए और उसके खोटे सिक्के चल गए और जब सारे बाजार में अब  यह बात फैल गयी की करतार तो खोटे सिक्के भी चला लेता हैं पर करतार लोगों की बात सुनकर कभी जबाव नहीं देते थे.. और अपने मालिक की मौज में खुश रहते थे। एक बार जब करतार अरदास  पढ़कर उठे तो अपनी पत्नी से  बोले --- "क्या छोले तैयार हो गए..?" पत्नी बोली --- "आज तो घर में हल्दी -मिर्च नहीं थी और मैं बाजार से लेने  गयी तो सब दुकानदारों न...

संत की दिल की बात ||Talk of the heart||Rssb

 दिल की बात

            दूसरा जन्म
"सत्संग प्रेमियों",   एक जन्म तो हमें अपने मां बाप से मिलता है। अकेला इसे ही तुम जन्म ना समझ लेना। क्योंकि यह जन्म तो एक और नई मृत्यु का आगमन होता है। यह जन्म एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसके आखिर में मृत्यु जरूर आती है। इसे तुम सफल जीवन मत समझना। क्योंकि महापुरुषों के ये वचन हैं कि एक और भी जन्म है, जो मां बाप से नहीं मिलता। वह जन्म गुरु के द्वारा समर्थित साधना से मिलता है। इंसान का वास्तविक जन्म तो वही होता है। उसी जन्म को पाकर व्यक्ति द्विज होता है। वह जन्म प्रत्येक को स्वयं ही देना होता है जी प्रेमियों।


       *महापुरुष फरमाते हैं कि तब तक शांति का अनुभव ना करें, जब तक आप अपने ही भीतर दूसरे जन्म को उपलब्ध ना हो जाएं। परमपिता परमात्मा की बख्शी कोई भी एक शक्ति आपके भीतर व्यर्थ ना पड़ी रह जाए। प्रेम व ध्यान जैसी शक्तियों को इकट्ठा करके सतगुरू के चरणों से जुड़ जाना चाहिए । 
प्रेम व ध्यान के इस मार्ग पर श्रमपूर्वक व संकल्प पूर्वक आगे बढ़ना होता है। इस प्रकार आप बहुत जल्दी ही यह पाएंगे कि आपके भीतर एक नए व्यक्ति का जन्म हो रहा है। जिस मात्रा में आपके भीतर नए व्यक्ति का जन्म होगा, उसी मात्रा में यह दुनिया भी नई हो जाएगी। यह दुनिया दूसरी ही नजर आने लगेगी जी गुरमुखो।_*
       *_तब समझ आएगी कि बड़ा आनंद है इस जगत में। बहुत आलोक है और बहुत सौंदर्य है जगत में। बहुत अपनापन, प्रेम व मैत्री भरे पड़े हैं यहां। बस हमारे पास इस अलौकिक व्यवस्था को देखने वाली आंख होनी चाहिए । प्रेम भक्ति को ग्रहण करने वाला दिल होना चाहिए। हमारे भीतर यह प्रकाश पैदा करने के लिए ही सद्गुरु देव हमें सत्संग, सेवा, सुमिरन व भजन ध्यान से जोड़ते हैं जी दयालु गुरमुख प्रेमियों।_*
दासनदास की सप्रेम 'शुभ कामनाएं' जी।
*प्रेम, ध्यान, आनंद व सत्संग की बात-*
 Dil Ki Baat - Satsang Ke Saath
  From Shri Prayag Dham



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