*👍हर कोई सुख की चाबी ढूंढ रहा है लेकिन सवाल यह है कि सुख पर ताला किसने लगाया*
*👌कितने अजीब हैं लोग हक़ीक़त में कम और तसवीर में ज्यादा मुस्कुराते हैं*
*🖕जिन्दगी को इतना सीरियस लेने की जरूरत नहीं दोस्तो यहाँ से जिन्दा-बचकर कोई नहीं जायेगा*
*🤘उम्र बिना रुके सफर कर रही है और हम ख्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं*
*☝️वजूद सब का है अपना अपना सूर्य के सामने दीपक का न सही पर अंधेरों के आगे बहुत कुछ है*
*🤏उसने एक ही बार कहा दोस्त हूँ फिर मैंने कभी नहीं कहा व्यस्त हूँ*
*👆वाह रे जमाने क्या अजब तेरी आँखों की कहानी है काला रँग बालों में हो तो जवानी है काली-ऑंखे जैसे कोई सुरमेदानी है कालातिल खूब सूरती की निशानी है देह के इस रँग से फिर इतनी क्यों परेशानी है*
*🖕गलतियाँ विफलता और निराशा अपमान ये सभी उन्नति और विकास का हिस्सा है कोई व्यक्ति इन अनु भवों से गुजरे बिना आगे नहीं जा सकता*
*🤌रेत में गिरी हुई चीनी चींटी तो उठा सकती है पर हाथी नहीं इसलिए छोटे आदमी को छोटा ना समझें कभी कभी छोटा-आदमी भी बड़ा काम कर जाता है👉 आज के इन्सान को ना कायदे पसन्द है और ना ही वायदे पसन्द है उसे तो बस फायदे पसन्द हैं..!!*

*🙏🏽🙏🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🏼🙏🏻🙏🏿
एक बार भगवान दुविधा में पड़ गए! कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता,तो भगवान के पास भागा-भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां बताता,उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता!
अंतत: उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले- देवताओं,मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं। कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता हैं,जबकी मै उन्हे उसके कर्मानुसार सब कुछ दे रहा हूं। फिर भी थोड़े से कष्ट मे ही मेरे पास आ जाता हैं। जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं। आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं, जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके।
प्रभु के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। गणेश जी बोले- आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं। भगवान ने कहा- यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में हैं। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा। इंद्रदेव ने सलाह दी- कि वह किसी महासागर में चले जाएं। वरुण देव बोले- आप अंतरिक्ष में चले जाइए।
भगवान ने कहा- एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा। भगवान निराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे- “क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं हैं, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं"।
अंत में सूर्य देव बोले- प्रभु! आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं! मनुष्य अनेक स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा, पर वह यहाँ आपको कदापि न तलाश करेगा। ईश्वर को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया और वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए।
उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ईश्वर को मन्दिर,ऊपर,नीचे,आकाश,पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहें हैं।
परंतु
मनुष्य कभी भी अपने भीतर- "हृदय रूपी मन्दिर" में बैठे हुए ईश्वर को नहीं देख पाता..!!
*🙏🏻🙏🏼🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🙏🏽🙏🏿
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें